संस्मरण >> मृत्यु मेरे द्वार पर मृत्यु मेरे द्वार परखुशवंत सिंह
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
यह पुस्तक अंग्रेजी के मशहूर लेखक खुशवंत सिंह की पुस्तक ‘डेथ एट माई डोरस्टेप : ओबिटयुअरीज’ का अनुवाद है जिसमे उन्होंने कई महान हस्तियों को श्रद्धांजलि देते हुए मृत्यु के विषय में अपना नजरिया व्यक्त किया है। पुस्तक के पहले खंड में उन्होंने दलाई लामा एवं आचार्य रजनीश के मृत्यु के बारे में विचारों को रखा है और बुढ़ापा, मृत्यु का अनुभव, मृत्यु के पश्चात् जीवन और मृतकों से ज्ञान के बारे में काफी दिलचस्प अंदाज में लिखा है। पुस्तक के दूसरे खंड में कई हस्तियों की मृत्यु के पश्चात् लिखी गई श्रद्धांजलियाँ जिसमे जेड. ए. भुट्टो, संजय गाँधी, माउंटबेटन, रजनी पटेल, धीरेन भगत, प्रभा दत्त, हरदयाल, मुल्कराज आनंद, नीरद बाबू, बलवंत गार्गी, फैज अहमद फैज, आर. के. नारायण, प्रोतिमा बेदी, नरगिस दत्त, अमृता शेरगिल, भीष्म साहनी सहित अपनी दादी माँ, राज-विला के छ्ज्जुराम और अपने कुत्ते सिम्बा के अलावा अपने ऊपर भी समाधि लेख लिखा है।
इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को खुशवंत सिंह के चुटीले और खिलंदडे अंदाज की झलक मिलेगी और उनकी तटस्थता पाठकों को प्रभावित करेगी।
इस पुस्तक को पढ़ते हुए पाठकों को खुशवंत सिंह के चुटीले और खिलंदडे अंदाज की झलक मिलेगी और उनकी तटस्थता पाठकों को प्रभावित करेगी।
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